Wednesday 31 August 2011

बस मन नहीं है


ये जो थोड़ी सी टूट फ़ूट हो गयी है दिल में…
उसे अब दुरुस्त करवाने का मन नहीं है…

ये जो ज़रा सा खालीपन है इस भरे भरे दिल में…
उसे अब किसी तरह भरवाने का मन नहीं है… 

दुआएं तो मेरी बिन मांगे कबूल होती हैं…
बस ये ख्वाहिश पूरी करवाने का मन नहीं है…

प्यारी लगे है मुझे खट्टी मीठी ज़िन्दगी मेरी…
किस्मत में और कुछ सुधरवाने का मन नहीं है…

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